बचपन की मासूमियत खो गयी। ये तब जाना जब चोट लगने पर "ओह माँ" की

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बचपन की मासूमियत खो गयी। ये तब जाना जब चोट लगने पर "ओह माँ" की जगह पर
"इसकी माँ का" निकलने लगा।

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